अब सरकारी कर्मचारी ले सकते हैं इतने दिन की स्पेशल छुट्‌टी, सरकार ने नियमों में किया बड़ा बदलाव 7th Pay Commission

By Meera Sharma

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7th Pay Commission

7th Pay Commission: केंद्र सरकार ने केंद्रीय कर्मचारियों के लिए एक महत्वपूर्ण और मानवीय नीति की घोषणा की है जो अंगदान को प्रोत्साहित करने की दिशा में एक सराहनीय कदम है। इस नई नीति के तहत जो भी केंद्रीय कर्मचारी अंगदान करेगा, उसे अधिकतम 42 दिनों की विशेष आकस्मिक छुट्टी मिलेगी। इन छुट्टियों के दौरान कर्मचारी को पूरा वेतन मिलता रहेगा और उसकी सैलरी में कोई कटौती नहीं होगी। यह पहल न केवल अंगदान की संस्कृति को बढ़ावा देगी बल्कि उन लोगों की भी मदद करेगी जो किसी अंग की कमी के कारण परेशान हैं।

सरकार की इस नीति का मुख्य उद्देश्य समाज में अंगदान के प्रति जागरूकता बढ़ाना और लोगों को इसके लिए प्रेरित करना है। अंगदान एक महान कार्य है जो किसी की जिंदगी बचा सकता है लेकिन कई बार लोग ऑपरेशन के बाद की परेशानी और छुट्टी न मिलने के डर से इससे कतराते हैं। अब यह नई नीति उन सभी चिंताओं का समाधान करती है। केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह ने लोकसभा में एक प्रश्न के जवाब में इस नीति की विस्तृत जानकारी दी है।

2023 में लागू हुई नई नीति का विवरण

यह महत्वपूर्ण नीति वास्तव में 2023 में ही लागू हो गई थी जब कार्मिक मंत्रालय ने इसके लिए आधिकारिक आदेश जारी किया था। इस आदेश के अनुसार कोई भी केंद्रीय कर्मचारी जो अंगदान करता है, उसे अधिकतम 42 दिनों तक की विशेष छुट्टी का हकदार है। यह छुट्टी इस बात पर निर्भर नहीं करती कि ऑपरेशन छोटा है या बड़ा, सरल है या जटिल। सभी प्रकार के अंगदान के लिए समान नियम लागू होते हैं। हालांकि किसी भी परिस्थिति में यह छुट्टी 42 दिन से अधिक नहीं होगी।

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इस नीति की सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि छुट्टी लेने के लिए डॉक्टर की लिखित मंजूरी आवश्यक है। बिना चिकित्सक की अनुमति के कोई भी कर्मचारी इस विशेष छुट्टी का लाभ नहीं उठा सकता। यह नियम सुनिश्चित करता है कि छुट्टी का दुरुपयोग न हो और केवल वास्तविक अंगदान के मामलों में ही इसका उपयोग किया जाए। छुट्टी की शुरुआत उस दिन से होगी जिस दिन कर्मचारी अंगदान के लिए अस्पताल में भर्ती होगा।

छुट्टी की अवधि बढ़ाने की सुविधा

सरकारी नियमों में पर्याप्त लचीलापन रखा गया है ताकि अंगदान करने वाले कर्मचारी को उचित आराम मिल सके। यदि शुरुआत में डॉक्टर 7 या 10 दिन की छुट्टी की सिफारिश करता है लेकिन बाद में कर्मचारी की स्वास्थ्य स्थिति को देखते हुए अधिक छुट्टी की आवश्यकता महसूस होती है, तो डॉक्टर इसे बढ़ा सकता है। हालांकि यह वृद्धि भी अधिकतम 42 दिन की सीमा के अंतर्गत ही होगी। इसके लिए डॉक्टर को लिखित रूप से अतिरिक्त छुट्टी की आवश्यकता को प्रमाणित करना होगा।

यह व्यवस्था इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि अलग-अलग प्रकार के अंगदान में अलग-अलग समय का आराम आवश्यक होता है। किडनी दान करने में कम समय लगता है जबकि लिवर दान में अधिक समय की आवश्यकता हो सकती है। यह लचीलापन सुनिश्चित करता है कि कर्मचारी को पूरी तरह स्वस्थ होने का समय मिले। डॉक्टर की निगरानी में यह निर्णय लिया जाता है कि कितने दिन का आराम आवश्यक है।

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अस्पताल में भर्ती होने से पहले की छुट्टी

इस नीति में एक और मानवीय पहलू यह है कि छुट्टी की शुरुआत केवल ऑपरेशन के दिन से नहीं होती बल्कि अस्पताल में भर्ती होने के दिन से होती है। कई बार अंगदान की प्रक्रिया के लिए मरीज को ऑपरेशन से पहले कुछ दिन अस्पताल में भर्ती रहना पड़ता है। इस स्थिति में यदि डॉक्टर का मानना है कि सर्जरी से पहले मरीज को अस्पताल में रहना आवश्यक है तो छुट्टी ऑपरेशन से अधिकतम एक सप्ताह पहले से शुरू हो सकती है।

यह प्रावधान विशेष रूप से उन मामलों में उपयोगी है जहां अंगदान के लिए व्यापक तैयारी की आवश्यकता होती है। कई बार दाता को विभिन्न जांच, टेस्ट और तैयारी के लिए अस्पताल में रुकना पड़ता है। ऐसी स्थिति में कर्मचारी को अपनी नियमित छुट्टियों का उपयोग नहीं करना पड़ेगा। यह व्यवस्था अंगदान की प्रक्रिया को आसान बनाती है और कर्मचारियों को किसी प्रकार की वित्तीय चिंता नहीं करनी पड़ती।

अंगदान के प्रकार और छुट्टी की एकरूपता

इस नीति की एक महत्वपूर्ण विशेषता यह है कि सभी प्रकार के अंगदान के लिए समान छुट्टी का प्रावधान है। चाहे कर्मचारी किडनी दान करे, लिवर का हिस्सा दे, या कोई अन्य अंग दान करे, सभी के लिए अधिकतम 42 दिन की छुट्टी का नियम समान है। यह एकरूपता सुनिश्चित करती है कि किसी भी प्रकार के भेदभाव की गुंजाइश न रहे। छोटे ऑपरेशन के लिए कम छुट्टी और बड़े ऑपरेशन के लिए अधिक छुट्टी का भेद नहीं किया गया है।

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हालांकि व्यावहारिक रूप से डॉक्टर की सलाह के अनुसार छुट्टी की वास्तविक अवधि तय होगी। यदि किसी ऑपरेशन के बाद 15 दिन में ही कर्मचारी स्वस्थ हो जाता है तो उसे 42 दिन रुकने की जरूरत नहीं है। लेकिन यदि स्वास्थ्य लाभ में अधिक समय लगता है तो पूरे 42 दिन का लाभ उठाया जा सकता है। यह संतुलित दृष्टिकोण सुनिश्चित करता है कि न तो छुट्टी का दुरुपयोग हो और न ही कर्मचारी को कोई नुकसान हो।

समाजिक प्रभाव और भविष्य की संभावनाएं

यह नीति न केवल केंद्रीय कर्मचारियों के लिए फायदेमंद है बल्कि पूरे समाज के लिए एक सकारात्मक संदेश भी देती है। जब सरकारी कर्मचारी अंगदान के लिए आगे आएंगे तो इससे आम लोगों में भी जागरूकता बढ़ेगी। भारत में अंगदान की दर अभी भी बहुत कम है और हजारों लोग अंग की कमी के कारण मृत्यु के मुंह में चले जाते हैं। इस नीति से उम्मीद है कि अंगदान की संख्या में वृद्धि होगी और अधिक जिंदगियां बचाई जा सकेंगी।

भविष्य में यह संभव है कि राज्य सरकारें भी इसी प्रकार की नीति अपनाएं और निजी कंपनियां भी अपने कर्मचारियों के लिए ऐसी सुविधाएं प्रदान करें। यह एक मिसाल बन सकती है जो पूरे देश में अंगदान की संस्कृति को बढ़ावा दे। सरकार की यह पहल दिखाती है कि मानवीय मूल्यों को प्राथमिकता देते हुए नीतियां बनाई जा सकती हैं। इससे न केवल व्यक्तिगत लाभ होता है बल्कि सामाजिक कल्याण भी होता है।

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अस्वीकरण: यह लेख सामान्य जानकारी के उद्देश्य से लिखा गया है। अंगदान से संबंधित छुट्टी के नियम और शर्तों में समय-समय पर बदलाव हो सकते हैं। वास्तविक लाभ उठाने से पहले संबंधित कार्यालय या कार्मिक विभाग से नवीनतम नियमों की जानकारी प्राप्त करना आवश्यक है। अंगदान से पहले चिकित्सक की सलाह अवश्य लें।

Meera Sharma

Meera Sharma is a talented writer and editor at a top news portal, shining with her concise takes on government schemes, news, tech, and automobiles. Her engaging style and sharp insights make her a beloved voice in journalism.

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