सरकार का बड़ा फैसला, पुरानी पेंशन फिर से होगी लागू : OPS Scheme

By Meera Sharma

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OPS Scheme

OPS Scheme: साल 2004 में भारत सरकार ने एक महत्वपूर्ण निर्णय लेते हुए पुरानी पेंशन योजना को समाप्त कर नई पेंशन योजना शुरू की। यह बदलाव 1 अप्रैल 2004 के बाद भर्ती होने वाले सभी सरकारी कर्मचारियों पर लागू हुआ। इस निर्णय का मुख्य उद्देश्य सरकार के बढ़ते वित्तीय बोझ को कम करना था, लेकिन इसने कर्मचारियों की आर्थिक सुरक्षा को लेकर कई चिंताएं भी खड़ी कीं। पुरानी व्यवस्था में कर्मचारियों को अपने अंतिम वेतन के आधार पर जीवनभर पेंशन मिलती थी, जबकि नई व्यवस्था में यह राशि शेयर बाजार के उतार-चढ़ाव पर निर्भर हो गई। इस परिवर्तन ने सरकारी कर्मचारियों के बीच असंतोष पैदा किया और वे लगातार पुरानी व्यवस्था की वापसी की मांग कर रहे हैं।

दोनों योजनाओं के बीच मुख्य अंतर

पुरानी पेंशन योजना में कर्मचारियों को सेवानिवृत्ति के बाद अपने अंतिम वेतन का पचास प्रतिशत पेंशन के रूप में मिलता था, जो आजीवन जारी रहता था। इस व्यवस्था में पेंशन की राशि निश्चित होती थी और कर्मचारी को भविष्य की आर्थिक सुरक्षा का पूरा भरोसा रहता था। वहीं नई पेंशन योजना में कर्मचारी और सरकार दोनों मिलकर एक फंड में पैसा जमा करते हैं, जो शेयर बाजार में निवेश किया जाता है। इस योजना में पेंशन की राशि बाजार के प्रदर्शन पर निर्भर करती है, जिससे कभी अधिक तो कभी कम पैसा मिल सकता है। नई योजना में अनिश्चितता का तत्व है जो कर्मचारियों के लिए चिंता का कारण बना हुआ है।

कर्मचारी संगठनों का निरंतर संघर्ष

सरकारी कर्मचारी संगठन पिछले कई वर्षों से पुरानी पेंशन योजना की बहाली के लिए आंदोलन कर रहे हैं। राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद के नेता जे.एन. तिवारी जैसे अनेक कर्मचारी प्रतिनिधियों ने इस मुद्दे को प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्रियों के सामने उठाया है। उनका मुख्य तर्क यह है कि पुरानी व्यवस्था कर्मचारियों को बेहतर वित्तीय सुरक्षा प्रदान करती थी। कर्मचारी संगठन चाहते हैं कि सरकार दोनों योजनाओं में से चुनने का विकल्प दे ताकि हर कर्मचारी अपनी परिस्थिति के अनुसार निर्णय ले सके। इन संगठनों ने धरना-प्रदर्शन से लेकर प्रतिनिधिमंडल भेजने तक हर संभव प्रयास किया है।

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राज्य सरकारों की सकारात्मक पहल

कुछ राज्य सरकारों ने कर्मचारियों की मांगों को समझते हुए पुरानी पेंशन योजना को वापस लाने की दिशा में कदम उठाए हैं। राजस्थान, छत्तीसगढ़ और पंजाब जैसे राज्यों ने इस दिशा में सकारात्मक संकेत दिए हैं। हालांकि इस प्रक्रिया में कई चुनौतियां हैं जैसे कि नई योजना में जमा पैसे का क्या होगा, वित्तीय व्यवस्था कैसे की जाएगी और कानूनी बाधाओं को कैसे हल किया जाएगा। राज्य सरकारें केंद्र सरकार के दिशा-निर्देशों का इंतजार कर रही हैं ताकि एक समान नीति बनाई जा सके। कई राज्यों में चुनावी वादों के रूप में भी यह मुद्दा उठाया गया है।

केंद्र सरकार का रुख और आगे की राह

हाल ही में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से कर्मचारी प्रतिनिधियों की मुलाकात में यह जानकारी मिली कि केंद्र सरकार ने इस विषय पर एक विशेषज्ञ समिति गठित की है। इस समिति ने अपनी रिपोर्ट में पुरानी पेंशन योजना की बहाली के पक्ष में सिफारिश की है। यह खबर कर्मचारियों के लिए उत्साहजनक है और उन्हें उम्मीद है कि जल्दी ही सकारात्मक निर्णय हो सकता है। फिलहाल राज्य सरकारें केंद्र की नीति का इंतजार कर रही हैं।

वित्तीय लाभ और एरियर की संभावना

पुरानी पेंशन योजना की बहाली के साथ कर्मचारियों को पिछले अठारह महीनों का एरियर भुगतान मिलने की भी उम्मीद है। यह राशि उन कर्मचारियों के लिए बड़ी राहत होगी जो आर्थिक कठिनाइयों का सामना कर रहे हैं। हालांकि इस संबंध में अभी तक कोई आधिकारिक घोषणा नहीं हुई है, लेकिन कर्मचारी संगठन इस पर लगातार दबाव बना रहे हैं। यह मुद्दा न केवल वर्तमान कर्मचारियों बल्कि भविष्य में सरकारी नौकरी पाने वाले लोगों के लिए भी महत्वपूर्ण है।

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अस्वीकरण: यह लेख सामान्य जानकारी के उद्देश्य से लिखा गया है। सरकारी नीतियों में समय-समय पर परिवर्तन होते रहते हैं। सटीक और नवीनतम जानकारी के लिए संबंधित सरकारी विभागों से संपर्क करना आवश्यक है।

Meera Sharma

Meera Sharma is a talented writer and editor at a top news portal, shining with her concise takes on government schemes, news, tech, and automobiles. Her engaging style and sharp insights make her a beloved voice in journalism.

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