इन प्राइवेट स्कूलों पर बड़ी कार्रवाई के आदेश, मान्यता भी हो सकती है रद्द Private School Action

By Meera Sharma

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Private School Action

Private School Action: उत्तराखंड सरकार ने शिक्षा के अधिकार अधिनियम का पालन न करने वाले निजी शैक्षणिक संस्थानों के खिलाफ कड़ा रुख अपनाया है। विद्यालयी शिक्षा मंत्री डॉक्टर धन सिंह रावत ने स्पष्ट घोषणा की है कि आरटीई कानून का उल्लंघन करने वाले स्कूलों की पहचान करके उनकी अनापत्ति प्रमाण पत्र रद्द की जाएगी। मंत्री जी ने साफ तौर पर कहा है कि जरूरत पड़ने पर इन संस्थानों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई भी की जाएगी। यह निर्णय प्रदेश में गुणवत्तापूर्ण शिक्षा सुनिश्चित करने और वंचित वर्गों के बच्चों के शैक्षिक अधिकारों की रक्षा के लिए उठाया गया महत्वपूर्ण कदम है। सरकार का यह सख्त रुख दिखाता है कि शिक्षा के क्षेत्र में किसी भी तरह की लापरवाही या नियमों की अवहेलना बर्दाश्त नहीं की जाएगी।

जिला स्तर पर व्यापक निगरानी की व्यवस्था

प्रदेश के सभी जिलों के मुख्य शिक्षा अधिकारियों को तत्काल आदेश दिया गया है कि वे अपने क्षेत्राधिकार में आने वाले निजी स्कूलों द्वारा आरटीई अधिनियम के तहत किए गए प्रवेशों की विस्तृत रिपोर्ट तैयार करें। इन रिपोर्टों को शिक्षा महानिदेशालय को जमा करना होगा जिसके आधार पर आगे की कार्य योजना निर्धारित की जाएगी। मुख्य शिक्षा अधिकारियों को यह भी निर्देश दिया गया है कि वे सरकारी और निजी दोनों प्रकार के स्कूलों का अचानक निरीक्षण करें। इन निरीक्षणों के दौरान शैक्षणिक संसाधनों की उपलब्धता, बुनियादी सुविधाओं की स्थिति और शिक्षकों की नियुक्ति संबंधी जानकारी एकत्रित की जाएगी।

उच्चस्तरीय समीक्षा बैठक में महत्वपूर्ण निर्णय

बुधवार को शासकीय आवास में आयोजित समीक्षा बैठक में मंत्री डॉक्टर रावत ने विभागीय अधिकारियों के साथ आरटीई अधिनियम के क्रियान्वयन की समीक्षा की। बैठक में यह स्पष्ट किया गया कि सभी निजी शैक्षणिक संस्थानों के लिए निर्धारित मानदंडों के अनुसार वंचित वर्गीय बच्चों को प्रवेश देना अनिवार्य है। आरटीई के सुचारू संचालन की जिम्मेदारी जिला स्तर पर मुख्य शिक्षा अधिकारी और खंड स्तर पर खंड शिक्षा अधिकारी को सौंपी गई है। यदि कोई शैक्षणिक संस्थान इन नियमों का उल्लंघन करता पाया जाता है तो उसे नोटिस जारी करके उसकी मान्यता रद्द करने की कार्रवाई की जा सकती है।

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शिकायत निवारण तंत्र का विकास

उत्तराखंड बाल अधिकार संरक्षण आयोग से लगातार ऐसी शिकायतें मिल रही हैं कि अनेक निजी स्कूल आरटीई के तहत बच्चों को प्रवेश नहीं दे रहे हैं। इस समस्या को देखते हुए आयोग की अध्यक्ष डॉक्टर गीता खन्ना ने सुझाव दिया है कि आरटीई संबंधी शिकायतों को दर्ज करने और उनका समाधान करने के लिए एक विशेष पोर्टल का निर्माण किया जाए। इसके साथ ही सभी सरकारी और निजी स्कूलों में अनिवार्य रूप से शिकायत और सुझाव पेटिका लगाने पर भी जोर दिया गया है। यह व्यवस्था अभिभावकों और समुदाय को शिक्षा संबंधी समस्याओं की रिपोर्ट करने में सहायक होगी।

व्यापक भागीदारी और भविष्य की योजना

इस महत्वपूर्ण बैठक में शिक्षा महानिदेशक अभिषेक रोहिला, मुख्य विकास अधिकारी अभिनव शाह, बाल अधिकार संरक्षण आयोग के वरिष्ठ अधिकारी और प्रदेश के प्रमुख जिलों के मुख्य शिक्षा अधिकारी सहित अनेक वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित रहे। यह व्यापक भागीदारी दर्शाती है कि सरकार शिक्षा सुधार को लेकर कितनी गंभीर है। आने वाले समय में इन निर्णयों का सख्ती से पालन करवाया जाएगा और शैक्षणिक गुणवत्ता में सुधार के लिए निरंतर प्रयास किए जाएंगे।

अस्वीकरण: यह लेख उत्तराखंड सरकार की शिक्षा नीति की सामान्य जानकारी पर आधारित है। नीतियों और नियमों में समय के साथ बदलाव हो सकते हैं। नवीनतम जानकारी के लिए संबंधित विभाग से संपर्क करें।

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Meera Sharma is a talented writer and editor at a top news portal, shining with her concise takes on government schemes, news, tech, and automobiles. Her engaging style and sharp insights make her a beloved voice in journalism.

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