NHAI Rule: भारत में आधुनिक हाईवे और एक्सप्रेसवे के तेजी से विकास के साथ टोल टैक्स की संख्या भी लगातार बढ़ रही है। नए राजमार्गों के निर्माण से यात्रा की गुणवत्ता में सुधार हुआ है लेकिन साथ ही यात्रियों पर टोल का बोझ भी बढ़ा है। हर कुछ किलोमीटर की दूरी पर टोल प्लाजा मिलना आम बात हो गई है जिससे यात्रा की लागत काफी बढ़ जाती है। इस समस्या को देखते हुए भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण ने कई नियम बनाए हैं जो यात्रियों के हित में हैं। इन नियमों की सही जानकारी होने से आप कई बार टोल का भुगतान करने से बच सकते हैं।
टोल प्लाजा पर होने वाली देरी और लंबी कतारों की समस्या भी एक बड़ी चुनौती है। कई बार यात्रियों को घंटों इंतजार करना पड़ता है जिससे उनका समय और ईंधन दोनों बर्बाद होता है। इसी समस्या का समाधान करने के लिए NHAI ने कुछ विशेष नियम बनाए हैं। ये नियम न केवल यात्रियों के समय की बचत करते हैं बल्कि कई स्थितियों में टोल से भी छुटकारा दिलाते हैं।
100 मीटर की कतार वाला महत्वपूर्ण नियम
NHAI के एक महत्वपूर्ण नियम के अनुसार यदि किसी टोल बूथ पर वाहनों की कतार 100 मीटर से अधिक लंबी हो जाती है तो वाहनों को बिना टोल का भुगतान किए आगे जाने दिया जाएगा। यह नियम यातायात को सुचारू रूप से चलाने और लंबी कतारों को कम करने के लिए बनाया गया है। इस नियम की जानकारी NHAI ने अपने आधिकारिक ट्विटर अकाउंट पर भी दी थी। प्रत्येक टोल लेन में बूथ से 100 मीटर की दूरी पर एक पीली रेखा खींची गई है जो इस नियम को लागू करने में मदद करती है।
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जब भी वाहनों की कतार इस पीली रेखा को पार कर जाती है तो उस टोल लेन को अस्थायी रूप से टोल फ्री कर दिया जाता है। यह व्यवस्था तब तक चलती है जब तक कतार वापस 100 मीटर के भीतर नहीं आ जाती। जैसे ही स्थिति सामान्य होती है, टोल का भुगतान फिर से शुरू हो जाता है। यह नियम विशेष रूप से पीक ऑवर्स और त्योहारों के समय बहुत उपयोगी साबित होता है जब टोल प्लाजा पर भीड़ अधिक होती है।
10 सेकंड के भुगतान समय का नियम
2021 में NHAI ने एक और महत्वपूर्ण घोषणा की थी कि टोल प्लाजा पर प्रति वाहन के लिए अधिकतम 10 सेकंड का भुगतान समय होगा। यह नियम तेज और कुशल टोल संग्रह सुनिश्चित करने के लिए बनाया गया है। अगर टोल बूथ पर भुगतान में 10 सेकंड से अधिक समय लगता है तो यह टोल ऑपरेटर की जिम्मेदारी है कि वे अपनी प्रक्रिया में सुधार करें। इस नियम का उद्देश्य डिजिटल भुगतान को बढ़ावा देना और नकद लेन-देन को कम करना है।
फास्टैग (FASTag) सिस्टम इस नियम को लागू करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। फास्टैग के माध्यम से भुगतान आमतौर पर 2-3 सेकंड में हो जाता है जो 10 सेकंड के नियम के अनुकूल है। यदि आपके पास फास्टैग नहीं है और नकद भुगतान करना पड़ता है तो भी टोल ऑपरेटर को 10 सेकंड के भीतर प्रक्रिया पूरी करनी होती है। इस नियम से यात्रियों का समय बचता है और टोल प्लाजा पर जाम की समस्या कम होती है।
टोल प्लाजा के बीच 60 किलोमीटर का नियम
सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय के फी रूल 2008 के अनुसार किसी भी हाईवे पर दो टोल प्लाजा के बीच कम से कम 60 किलोमीटर का अंतर होना चाहिए। इस नियम की पुष्टि केंद्रीय सड़क परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने भी की है। उन्होंने स्पष्ट किया है कि उनका लक्ष्य है कि 60 किलोमीटर के दायरे में केवल एक ही टोल प्लाजा हो। यह नियम यात्रियों पर टोल के बोझ को कम करने और उचित दूरी पर टोल संग्रह सुनिश्चित करने के लिए बनाया गया है।
हालांकि कुछ विशेष परिस्थितियों में इस नियम में छूट दी जा सकती है। जगह की कमी, ट्रैफिक कंजेशन, भौगोलिक बाधाओं या तकनीकी कारणों से कभी-कभी 60 किलोमीटर के दायरे में दो टोल प्लाजा हो सकते हैं। लेकिन ऐसे मामले अपवाद हैं और सामान्यतः 60 किलोमीटर का नियम ही लागू होता है। यदि आपको लगता है कि कोई टोल प्लाजा इस नियम का उल्लंघन कर रहा है तो आप NHAI या संबंधित अधिकारियों से शिकायत कर सकते हैं।
टोल टैक्स और रोड टैक्स के बीच अंतर
बहुत से लोग टोल टैक्स और रोड टैक्स को एक ही समझते हैं लेकिन वास्तव में दोनों में बुनियादी अंतर है। रोड टैक्स वह राशि है जो वाहन मालिक आरटीओ को देता है और यह पूरे राज्य की सड़कों के उपयोग के लिए होता है। यह एक बार या सालाना दिया जाता है और इससे आप उस राज्य की सभी सामान्य सड़कों का उपयोग कर सकते हैं। रोड टैक्स की राशि वाहन के प्रकार, इंजन की क्षमता और राज्य के नियमों के अनुसार तय होती है।
वहीं टोल टैक्स किसी विशेष सड़क जैसे हाईवे या एक्सप्रेसवे के उपयोग के लिए दिया जाता है। यह राशि राज्य सरकार को नहीं बल्कि उस सड़क को बनाने वाली कंपनी या NHAI को जाती है। टोल टैक्स का उपयोग उस विशेष सड़क के निर्माण, रखरखाव और सुधार के लिए किया जाता है। इसीलिए टोल रोड आमतौर पर बेहतर गुणवत्ता की होती हैं और इन पर यात्रा करना अधिक आरामदायक होता है।
टोल से बचने के कानूनी तरीके
कुछ स्थितियों में आप कानूनी रूप से टोल का भुगतान नहीं करना पड़ता। आपातकालीन सेवाओं जैसे एम्बुलेंस, फायर ब्रिगेड और पुलिस वाहनों को टोल से छूट मिलती है। सरकारी वीआईपी वाहनों और रक्षा बलों के वाहनों को भी टोल माफ किया जाता है। दो-पहिया वाहनों के लिए भी कई टोल प्लाजा पर छूट का प्रावधान है। यदि आप स्थानीय निवासी हैं और टोल प्लाजा के आसपास के क्षेत्र में रहते हैं तो आप मासिक या वार्षिक पास बनवा सकते हैं जो काफी किफायती होता है।
इसके अलावा यदि टोल प्लाजा पर तकनीकी खराबी है, फास्टैग रीडर काम नहीं कर रहा या कोई अन्य समस्या है तो भी आपको टोल देने की जरूरत नहीं है। ऐसी स्थिति में आप टोल प्लाजा के सुपरवाइजर से बात कर सकते हैं। महत्वपूर्ण बात यह है कि इन सभी नियमों की जानकारी रखें और अपने अधिकारों के बारे में जागरूक रहें।
भविष्य की योजनाएं और सुधार
सरकार टोल सिस्टम में लगातार सुधार कर रही है और GPS आधारित टोल सिस्टम पर काम चल रहा है। इस नई तकनीक से केवल उतनी दूरी के लिए पैसा देना होगा जितनी आपने वास्तव में यात्रा की है। सैटेलाइट टोल सिस्टम से टोल प्लाजा पर रुकने की जरूरत नहीं होगी और यातायात और भी सुचारू हो जाएगा। इसके अलावा डिजिटल पेमेंट को और बढ़ावा दिया जा रहा है ताकि नकद लेन-देन कम से कम हो।
भविष्य में टोल रेट भी दूरी के अनुपात में होगी और अनावश्यक टोल प्लाजा हटाए जाएंगे। इन सभी सुधारों का उद्देश्य यात्रियों को बेहतर सेवा देना और टोल सिस्टम को अधिक पारदर्शी और उचित बनाना है। जब तक ये सुधार पूरी तरह लागू नहीं होते, तब तक मौजूदा नियमों की जानकारी रखना और उनका सदुपयोग करना आवश्यक है।
अस्वीकरण: यह लेख सामान्य जानकारी के उद्देश्य से लिखा गया है। टोल नियमों में समय-समय पर बदलाव हो सकते हैं। वर्तमान नियमों की सटीक जानकारी के लिए NHAI की आधिकारिक वेबसाइट देखें या संबंधित अधिकारियों से संपर्क करें। किसी भी विवाद की स्थिति में कानूनी सलाह लेना उचित होगा।