CIBIL Score: भारत में बैंकिंग ग्राहकों को सिबिल स्कोर से जुड़ी अनेक समस्याओं का सामना करना पड़ता रहा है। अक्सर देखा गया है कि ग्राहकों का क्रेडिट स्कोर बिना किसी वैध कारण के खराब हो जाता है। यह समस्या मुख्यतः बैंकों और क्रेडिट ब्यूरो के बीच जानकारी साझा करने में देरी या गलतियों के कारण होती है। कई बार तो बैंक की तकनीकी त्रुटि के कारण भी ग्राहकों का सिबिल स्कोर नकारात्मक रूप से प्रभावित हो जाता है। इन सभी समस्याओं को देखते हुए भारतीय रिजर्व बैंक ने कड़े नियम बनाने का फैसला किया है।
सिबिल स्कोर खराब होने के पारंपरिक कारणों में लोन की किस्त न चुकाना, क्रेडिट कार्ड का बिल समय पर न भरना शामिल है। लेकिन कई बार ऐसी स्थितियां भी आती हैं जब ग्राहक की कोई गलती नहीं होती फिर भी उनका स्कोर प्रभावित हो जाता है। इसी समस्या के समाधान के लिए आरबीआई ने व्यापक सुधार की दिशा में कदम उठाया है।
नई निगरानी प्रणाली की शुरुआत
आरबीआई के नए नियमों के अनुसार अब सभी क्रेडिट इन्फॉर्मेशन कंपनियों को यह सुनिश्चित करना होगा कि जब भी कोई बैंक या एनबीएफसी किसी ग्राहक की क्रेडिट रिपोर्ट देखता है तो उसकी जानकारी तुरंत ग्राहक को दी जाए। यह जानकारी एसएमएस या ईमेल के माध्यम से ग्राहक तक पहुंचाई जानी चाहिए। इस व्यवस्था से ग्राहकों को पता चल जाएगा कि कौन सी संस्था उनकी क्रेडिट हिस्ट्री देख रही है और किस उद्देश्य से।
यह नई प्रणाली ग्राहकों को अधिक नियंत्रण देती है और पारदर्शिता लाती है। अब ग्राहक यह जान सकेंगे कि उनकी वित्तीय जानकारी कहां और कैसे उपयोग हो रही है। इससे अनधिकृत क्रेडिट जांच की घटनाओं में भी कमी आएगी।
निःशुल्क क्रेडिट रिपोर्ट की सुविधा
आरबीआई के निर्देशानुसार अब क्रेडिट कंपनियों को ग्राहकों को साल में कम से कम एक बार पूरी क्रेडिट रिपोर्ट मुफ्त में उपलब्ध करानी होगी। यह सुविधा कंपनी की वेबसाइट पर दिए गए विशेष लिंक के माध्यम से प्राप्त की जा सकेगी। इससे ग्राहक अपने सिबिल स्कोर और संपूर्ण क्रेडिट इतिहास की नियमित जांच कर सकेंगे। यह व्यवस्था ग्राहकों को अपनी वित्तीय स्थिति को बेहतर ढंग से समझने और प्रबंधित करने में मदद करेगी।
डिफॉल्ट रिपोर्टिंग में पारदर्शिता
नए नियमों के तहत अब बैंकों को किसी भी ग्राहक को डिफॉल्टर घोषित करने से पहले उसे पूर्व सूचना देनी होगी। यह सूचना एसएमएस या ईमेल के जरिए भेजी जाएगी ताकि ग्राहक को अपनी स्थिति सुधारने का अवसर मिल सके। आरबीआई ने बैंकों से कहा है कि वे इस काम के लिए विशेष नोडल अधिकारी नियुक्त करें जो सिबिल स्कोर संबंधी समस्याओं का समाधान करेंगे।
लोन अस्वीकृति के कारण बताना अनिवार्य
अब बैंकों को किसी भी लोन आवेदन को अस्वीकार करते समय ग्राहक को स्पष्ट कारण बताना होगा। इससे ग्राहक समझ सकेंगे कि उनका आवेदन किस आधार पर रद्द किया गया है और भविष्य में वे अपनी स्थिति कैसे सुधार सकते हैं। यह जानकारी ग्राहकों के लिए बेहद उपयोगी होगी।
शिकायत निवारण की निर्धारित समय सीमा
आरबीआई ने शिकायतों के निवारण के लिए स्पष्ट समय सीमा तय की है। अब सिबिल स्कोर से जुड़ी किसी भी शिकायत का समाधान 30 दिन में करना होगा। इसमें बैंकों को 21 दिन और क्रेडिट ब्यूरो को 9 दिन का समय मिलेगा। यदि निर्धारित समय में समाधान नहीं होता तो प्रतिदिन 100 रुपये का जुर्माना लगाया जाएगा। यह नई व्यवस्था ग्राहकों के हितों की बेहतर सुरक्षा सुनिश्चित करती है।
अस्वीकरण: यह लेख सामान्य जानकारी के उद्देश्य से तैयार किया गया है। सिबिल स्कोर या क्रेडिट से संबंधित किसी भी निर्णय से पहले संबंधित बैंक या वित्तीय संस्थान से सलाह अवश्य लें। नियम और शर्तें समय-समय पर बदल सकती हैं।