Commuted Pension: केंद्रीय सरकार के सेवानिवृत्त कर्मचारियों के लिए एक महत्वपूर्ण विषय पर चर्चा तेज हो गई है। वर्तमान में जब कोई केंद्रीय कर्मचारी रिटायर होता है तो उसे नियमित मासिक पेंशन के अलावा एक विकल्प दिया जाता है। वह चाहे तो अपनी पेंशन का कुछ हिस्सा एकमुश्त राशि के रूप में ले सकता है जिसे कम्यूटेड पेंशन कहते हैं।
इस व्यवस्था को चुनने पर कर्मचारी की मासिक पेंशन से पंद्रह वर्षों तक कटौती होती रहती है। यह कटौती उस एकमुश्त राशि की भरपाई के लिए की जाती है जो उसे मिली होती है। पंद्रह साल बाद उसकी पूर्ण पेंशन बहाल कर दी जाती है। यही वह व्यवस्था है जिसमें बदलाव की मांग उठ रही है।
कर्मचारी संगठनों की प्रमुख मांग
देश भर के रिटायर केंद्रीय कर्मचारियों के संगठन लंबे समय से यह मांग कर रहे हैं कि कम्यूटेड पेंशन की बहाली अवधि पंद्रह साल से घटाकर बारह साल कर दी जाए। इस मांग के पीछे मुख्य तर्क यह है कि वर्तमान आर्थिक परिस्थितियों में रिटायर कर्मचारियों को जल्दी पूर्ण पेंशन की आवश्यकता है।
कर्मचारी संगठनों का कहना है कि बढ़ती महंगाई और जीवनयापन की बढ़ती लागत के कारण रिटायर कर्मचारियों को आर्थिक कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है। तीन साल पहले पूर्ण पेंशन मिलने से उनकी आर्थिक स्थिति में सुधार हो सकता है। यह मांग विशेष रूप से मध्यम और निम्न आय वर्गीय रिटायर कर्मचारियों के लिए महत्वपूर्ण है।
स्कोवा बैठक में मुद्दे की चर्चा
हाल ही में आयोजित स्कोवा की चौंतीसवीं बैठक में इस विषय पर विस्तृत चर्चा हुई है। इस बैठक में रिटायर कर्मचारियों के प्रतिनिधियों ने सरकार के सामने अपनी मांग रखी है। उन्होंने स्पष्ट किया है कि वर्तमान सामाजिक और आर्थिक हालात को देखते हुए यह परिवर्तन आवश्यक हो गया है।
बैठक में यह भी उल्लेख किया गया कि रिजर्व बैंक द्वारा ब्याज दरों में लगातार कमी के कारण पुराने गणित के अनुसार पंद्रह साल की अवधि अब उचित नहीं रह गई है। कम ब्याज दरों के कारण कम्यूटेशन वैल्यू भी प्रभावित हुई है जिससे कर्मचारियों को कम एकमुश्त राशि मिल रही है।
राज्य सरकारों का अनुभव और समर्थन
इस मांग को बल देने के लिए कर्मचारी संगठन यह तर्क दे रहे हैं कि कई राज्य सरकारें पहले से ही बारह साल की बहाली अवधि लागू कर चुकी हैं। राजस्थान, पंजाब और उत्तराखंड जैसे राज्यों ने अपने कर्मचारियों के लिए यह सुविधा पहले ही प्रदान की है।
पांचवें वेतन आयोग के समय भी इस विषय पर सिफारिश की गई थी कि कम्यूटेड पेंशन की बहाली अवधि बारह साल होनी चाहिए। इन पुराने संदर्भों को आधार बनाकर कर्मचारी संगठन अपनी मांग को न्यायसंगत ठहराने का प्रयास कर रहे हैं। उनका कहना है कि जब राज्य सरकारें यह सुविधा दे सकती हैं तो केंद्र सरकार को भी आगे आना चाहिए।
सरकार के पास इस मुद्दे को हल करने के लिए कई रास्ते उपलब्ध हैं। वह चाहे तो इस बदलाव को चरणबद्ध तरीके से लागू कर सकती है। कुछ विशेष आय वर्ग या उम्र समूह के लिए पहले इसे शुरू किया जा सकता है। दूसरा विकल्प यह है कि केवल नए रिटायर होने वाले कर्मचारियों के लिए यह व्यवस्था लागू की जाए।
सबसे व्यावहारिक समाधान यह हो सकता है कि कर्मचारियों को दोनों विकल्पों में से चुनने की छूट दी जाए। वे अपनी आवश्यकता और परिस्थिति के अनुसार बारह साल या पंद्रह साल की बहाली अवधि में से किसी एक को चुन सकें। हालांकि सरकार की ओर से अभी तक कोई आधिकारिक घोषणा नहीं की गई है, लेकिन आने वाले महीनों में इस विषय पर सकारात्मक निर्णय की उम्मीद की जा रही है।
अस्वीकरण: यह लेख सामान्य जानकारी के उद्देश्य से तैयार किया गया है। कम्यूटेड पेंशन की नीतियां और नियम केंद्र सरकार के निर्णयों पर निर्भर करते हैं। किसी भी वित्तीय निर्णय से पहले संबंधित सरकारी विभाग से आधिकारिक जानकारी अवश्य प्राप्त करें।