1 तारीख से EMI सिस्टम में बड़ा बदलाव – लेट होने पर नहीं वसूला जाएगा एक्स्ट्रा ब्याज

By Meera Sharma

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EMI: भारतीय रिजर्व बैंक ने लोन लेने वाले ग्राहकों को एक बड़ी राहत प्रदान की है। पहली मई 2025 से लागू हुए नए नियमों के अनुसार अब EMI में देरी होने पर बैंक और गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियां भारी दंड ब्याज नहीं वसूल सकेंगी। यह निर्णय उन करोड़ों लोगों के लिए बेहद फायदेमंद है जो विभिन्न कारणों से कभी-कभी अपनी मासिक किस्त में देरी कर देते हैं। पहले इस तरह की देरी पर लगने वाला दंड ब्याज कई बार इतना अधिक हो जाता था कि मूल लोन की लागत ही दोगुनी हो जाती थी। अब RBI ने इस समस्या का स्थायी समाधान निकाला है और ग्राहकों को अनुचित वित्तीय बोझ से मुक्ति दिलाई है।

पुराने नियम और उनकी समस्याएं

पुराने नियमों के अनुसार जब कोई ग्राहक अपनी EMI समय पर नहीं चुका पाता था तो बैंक उसकी बकाया राशि पर अतिरिक्त ब्याज जोड़ देते थे। इस अतिरिक्त ब्याज को दंड ब्याज कहा जाता था और यह मूल लोन की ब्याज दर से कहीं अधिक होती थी। सबसे बड़ी समस्या यह थी कि यह दंड ब्याज मूल लोन की राशि में जुड़ जाता था और फिर इस पर भी ब्याज लगता रहता था। इस कारण ग्राहकों का कर्ज तेजी से बढ़ता जाता था और वे एक दुष्चक्र में फंस जाते थे। कई बार तो स्थिति इतनी गंभीर हो जाती थी कि ग्राहक अपना घर तक गंवा देते थे। RBI को इस विषय पर लगातार शिकायतें मिल रही थीं जिसके कारण उन्होंने यह कठोर कदम उठाया है।

नए नियमों की विशेषताएं

नए नियमों के अनुसार अब EMI में देरी होने पर ग्राहकों से केवल एक निश्चित दंड शुल्क लिया जाएगा। यह शुल्क एक तय राशि होगी जैसे कि पांच सौ या एक हजार रुपए और इसे मूल लोन की राशि में नहीं जोड़ा जाएगा। सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि इस दंड शुल्क पर कोई अतिरिक्त ब्याज नहीं लगेगा। यह केवल ग्राहकों में अनुशासन बनाए रखने के लिए है न कि बैंकों का मुनाफा बढ़ाने के लिए। इस तरह से ग्राहकों को पहले से पता होगा कि देरी की स्थिति में उन्हें कितना अतिरिक्त भुगतान करना होगा और वे इसकी योजना पहले से बना सकेंगे। यह पारदर्शिता ग्राहकों के लिए बेहद फायदेमंद है।

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दंड शुल्क और दंड ब्याज में मुख्य अंतर

दंड शुल्क और दंड ब्याज के बीच समझना बेहद जरूरी है। दंड शुल्क एक निश्चित राशि है जो केवल EMI में देरी पर एक बार लगाई जाती है और इसे मूल लोन में नहीं जोड़ा जाता। वहीं दंड ब्याज एक अतिरिक्त ब्याज दर थी जो EMI चूकने पर मूल ब्याज में जोड़ दी जाती थी और फिर इस पर भी ब्याज लगता रहता था। नए नियमों के अनुसार दंड ब्याज की प्रथा पूरी तरह समाप्त कर दी गई है। यह बदलाव ग्राहकों के लिए करोड़ों रुपए की बचत का कारण बनेगा और उन्हें अनावश्यक वित्तीय तनाव से मुक्ति मिलेगी। बैंक अब केवल वह राशि वसूल सकेंगे जो वास्तव में उचित और न्यायसंगत है।

ग्राहकों के लिए महत्वपूर्ण सुझाव

इन नए नियमों का पूरा लाभ उठाने के लिए ग्राहकों को कुछ महत्वपूर्ण बातों का ध्यान रखना चाहिए। सबसे पहले अपने लोन स्टेटमेंट की नियमित जांच करें और यह सुनिश्चित करें कि EMI में देरी होने पर केवल दंड शुल्क लगाया जा रहा है न कि दंड ब्याज। यदि बैंक पुराने तरीके से दंड ब्याज लगा रहा है तो तुरंत इसकी शिकायत करें। बैंक से स्पष्ट रूप से पूछें कि लगाए गए चार्ज RBI के नए दिशा-निर्देशों के अनुसार हैं या नहीं। यदि आपको लगता है कि बैंक नए नियमों का पालन नहीं कर रहा तो बैंकिंग लोकपाल या RBI से शिकायत करने में संकोच न करें। यह आपका अधिकार है और इसका उपयोग करना चाहिए।

भविष्य की सावधानियां और लाभ

यह नया नियम विशेष रूप से छोटे लोन लेने वाले, नौकरीपेशा लोगों और छोटे व्यापारियों के लिए बेहद फायदेमंद है जो कभी-कभी वित्तीय कठिनाइयों के कारण EMI में देरी कर देते हैं। अब उन्हें भारी दंड ब्याज की चिंता नहीं करनी पड़ेगी। नया लोन लेते समय हमेशा पूछें कि EMI में देरी होने पर कितना दंड शुल्क लगेगा और यह सुनिश्चित करें कि यह RBI के दिशा-निर्देशों के अनुसार हो। यह कदम भारतीय बैंकिंग प्रणाली में पारदर्शिता लाएगा और ग्राहकों का विश्वास बढ़ाएगा।

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अस्वीकरण: यह लेख केवल सामान्य जानकारी के उद्देश्य से लिखा गया है। किसी भी वित्तीय निर्णय से पहले संबंधित बैंक या वित्तीय सलाहकार से सलाह लें। RBI के नियमों में समय-समय पर बदलाव हो सकते हैं, इसलिए नवीनतम जानकारी के लिए आधिकारिक स्रोतों से संपर्क करें।

Meera Sharma

Meera Sharma is a talented writer and editor at a top news portal, shining with her concise takes on government schemes, news, tech, and automobiles. Her engaging style and sharp insights make her a beloved voice in journalism.

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