Income Tax: भारत में करदाताओं के लिए एक बड़ी राहत की खबर आई है। अब तक आयकर विभाग की तरफ से किसी भी समय पुराने टैक्स मामलों को दोबारा खंगालने और नोटिस भेजने की प्रथा से करदाता काफी परेशान थे। इस स्थिति में करदाताओं को हमेशा डर बना रहता था कि कभी भी आयकर विभाग उनके पुराने मामलों को फिर से खोल सकता है। लेकिन अब नए नियमों और कानूनी प्रावधानों के तहत इस मनमानी पर अंकुश लग गया है। नए आयकर कानून के अनुसार अब विभाग को निर्धारित नियमों का पालन करना होगा और एक निश्चित समय सीमा के बाद पुराने मामलों को नहीं खोला जा सकेगा।
दिल्ली हाईकोर्ट का महत्वपूर्ण निर्णय
दिल्ली हाईकोर्ट ने इनकम टैक्स रीअसेसमेंट के मामले में एक अहम फैसला सुनाया है जो करदाताओं के हित में है। कोर्ट ने स्पष्ट रूप से कहा है कि अब आयकर विभाग तीन साल से अधिक पुराने और 50 लाख रुपये से कम के आयकर मामलों को अपनी मर्जी से नहीं खोल सकेगा। यह निर्णय आयकर कानून की धारा 148 के प्रावधानों को ध्यान में रखते हुए लिया गया है। हालांकि कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया है कि 50 लाख रुपये से अधिक के गंभीर मामलों में आयकर विभाग को 10 साल तक केस को खंगालने की छूट दी गई है। यह संतुलित दृष्टिकोण छोटे करदाताओं को सुरक्षा प्रदान करता है और बड़े टैक्स चोरी के मामलों में विभाग को उचित अधिकार देता है।
वित्त विधेयक 2021 में किए गए महत्वपूर्ण परिवर्तन
साल 2021 के बजट में वित्तमंत्री की घोषणा के बाद आयकर कानून में महत्वपूर्ण संशोधन किए गए। इन संशोधनों के तहत रीअसेसमेंट के नियमों को और भी स्पष्ट बनाया गया। नए नियमों के अनुसार 50 लाख रुपये से अधिक आय छिपाने के मामलों में 10 साल तक केस को फिर से खोला जा सकता है। यह प्रावधान गंभीर अपराधों के मामलों में भी लागू होता है। 2021 से पहले का नियम यह था कि आयकर विभाग किसी भी समय पुराने मामलों को दोबारा खोल सकता था, जिससे करदाताओं में अनिश्चितता का माहौल बना रहता था। नए नियमों से इस अनिश्चितता का अंत हुआ है और करदाताओं को स्पष्टता मिली है।
करदाताओं की लंबे समय से चली आ रही मांग
आयकर विभाग की तरफ से लगातार और किसी भी समय टैक्स मामलों की रीअसेसमेंट किए जाने से करदाता काफी परेशान थे। इस समस्या को लेकर करदाताओं की तरफ से न्यायालय में याचिका भी दायर की गई थी। याचिकाकर्ताओं का मुख्य तर्क यह था कि यदि टैक्स असेसमेंट में कोई आय छूट गई हो तो 50 लाख रुपये से कम की आय के मामलों को तीन साल बाद नहीं खोला जाना चाहिए। याचिका में आयकर कानून की धारा 149 के खंड (a) का हवाला भी दिया गया था। इसमें यह सुझाव भी दिया गया था कि आय छिपाने का मामला अगर 50 लाख रुपये से अधिक का हो तभी रीअसेसमेंट की अवधि को बढ़ाया जाना चाहिए।
समय सीमा में आए महत्वपूर्ण बदलाव
पहले इनकम टैक्स मामलों की रीअसेसमेंट की समय सीमा छह साल थी, जो काफी लंबी मानी जाती थी। बाद में इसे घटाकर तीन साल कर दिया गया। वित्त विधेयक 2021 के प्रावधानों में इस बदलाव के बारे में स्पष्ट रूप से उल्लेख किया गया है। नए नियमों के अनुसार अब रीअसेसमेंट की समय सीमा छह वर्ष के बजाय तीन वर्ष होगी। यह परिवर्तन छोटे और मध्यम करदाताओं के लिए विशेष रूप से लाभकारी है। इससे उन्हें यह आश्वासन मिलता है कि तीन साल बाद उनके टैक्स मामलों को दोबारा नहीं खोला जाएगा।
न्यायालय द्वारा सिद्धांतों की समीक्षा
केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड के निर्देशों में ‘ट्रैवल बैक इन टाइम’ के सिद्धांत के बारे में कई प्रावधान शामिल थे। हालांकि दिल्ली हाईकोर्ट ने इन सिद्धांतों को कानून संगत नहीं माना है। कोर्ट की इस टिप्पणी से करदाता सहमत हैं और इससे उन्हें और भी राहत मिली है। इस निर्णय से यह स्पष्ट हो गया है कि आयकर विभाग अब पुराने मामलों को मनमाने तरीके से नहीं खोल सकेगा।
अस्वीकरण: यह लेख सामान्य जानकारी के उद्देश्य से लिखा गया है। कर संबंधी नियम और कानून समय-समय पर बदलते रहते हैं। सटीक और नवीनतम जानकारी के लिए योग्य चार्टर्ड एकाउंटेंट या कर सलाहकार से परामर्श लेना आवश्यक है।