अब बैंक की FD से होने वाले कमाई पर इतना देना होगा टैक्स, जानिए इनकम टैक्स के नियम। Income Tax On FD

By Meera Sharma

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Income Tax On FD: बैंकों में फिक्स्ड डिपॉजिट एक लोकप्रिय निवेश विकल्प है जिसे लाखों लोग अपनी बचत के लिए चुनते हैं। हालांकि यह एक सुरक्षित निवेश माना जाता है, लेकिन इससे मिलने वाले ब्याज पर इनकम टैक्स लगता है। यदि आप भी फिक्स्ड डिपॉजिट में निवेश करते हैं, तो आपको इसके टैक्स नियमों की पूरी जानकारी होनी चाहिए।

फिक्स्ड डिपॉजिट पर टैक्स की नीति

फिक्स्ड डिपॉजिट से मिलने वाला ब्याज पूर्णतः कर योग्य होता है। इस ब्याज की आय को आपकी कुल आय में जोड़ा जाता है और आपके इनकम टैक्स स्लैब के अनुसार टैक्स की गणना की जाती है। आयकर विभाग इसे “अन्य स्रोतों से आय” की श्रेणी में दिखाता है। इनकम टैक्स रिटर्न भरते समय इस ब्याज की आय को अवश्य दिखाना होता है।

यह महत्वपूर्ण है कि आप समझें कि ब्याज की आय चाहे आपको मिली हो या न मिली हो, लेकिन जो ब्याज आपके खाते में जमा हुआ है या जमा होना है, उसे हर साल की आयकर रिटर्न में दिखाना अनिवार्य है।

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बैंक कब और कितना टैक्स काटता है

बैंकों द्वारा टीडीएस काटने की एक निर्धारित सीमा है। यदि आप एक सामान्य नागरिक हैं और आपकी फिक्स्ड डिपॉजिट से सालाना ब्याज चालीस हजार रुपए से अधिक है, तो बैंक स्रोत पर ही दस प्रतिशत की दर से टैक्स काट लेता है। वरिष्ठ नागरिकों के लिए यह सीमा पचास हजार रुपए है।

यह ध्यान रखना आवश्यक है कि यह टैक्स ब्याज जमा होने के समय काटा जाता है, न कि फिक्स्ड डिपॉजिट के मैच्योर होने पर। उदाहरण के लिए, यदि आपकी तीन साल की फिक्स्ड डिपॉजिट है, तो बैंक हर साल के अंत में टीडीएस काटेगा।

टैक्स की गणना कैसे होती है

फिक्स्ड डिपॉजिट से होने वाली आय को हर साल आपकी कुल आय में जोड़ा जाता है। भले ही आपको ब्याज का पैसा मैच्योरिटी पर एक साथ मिले, लेकिन आयकर रिटर्न में इसे हर साल दिखाना होता है। यह एक महत्वपूर्ण बात है क्योंकि यदि आप मैच्योरिटी पर पूरा ब्याज एक साथ दिखाएंगे, तो आप उच्च टैक्स स्लैब में आ सकते हैं।

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उदाहरण के तौर पर, यदि किसी व्यक्ति के पास छह प्रतिशत वार्षिक ब्याज दर पर एक लाख रुपए की फिक्स्ड डिपॉजिट है, तो उसे सालाना छह हजार रुपए का ब्याज मिलेगा। यदि उसके पास दो ऐसी एफडी हैं, तो कुल ब्याज बारह हजार रुपए होगा, जो चालीस हजार की सीमा से कम है, इसलिए बैंक टीडीएस नहीं काटेगा।

टैक्स बचाने के प्रभावी तरीके

यदि आपकी सालाना कुल आय ढाई लाख रुपए से कम है, तो आप फॉर्म 15G या 15H का उपयोग कर सकते हैं। इस फॉर्म को भरकर बैंक में जमा करने से टीडीएस नहीं काटा जाएगा। यह उन लोगों के लिए बहुत उपयोगी है जिनकी आय टैक्स की सीमा से कम है।

दूसरा तरीका है अपने परिवारजनों के नाम पर फिक्स्ड डिपॉजिट खोलना। आप अपने जीवनसाथी, माता-पिता और बच्चों के नाम से एफडी खोल सकते हैं। इससे टैक्स की गणना अलग-अलग व्यक्तियों के स्लैब के अनुसार होगी।

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तीसरा विकल्प है डाकघर में फिक्स्ड डिपॉजिट खोलना। हालांकि डाकघर की ब्याज दरें कम हो सकती हैं, लेकिन टैक्स की बचत के मामले में यह फायदेमंद हो सकता है।

अलग-अलग बैंकों और शाखाओं में फिक्स्ड डिपॉजिट खोलना भी एक रणनीति हो सकती है, जिससे टीडीएस की सीमा का बेहतर उपयोग किया जा सकता है।

अस्वीकरण: यह लेख केवल सामान्य जानकारी के उद्देश्य से लिखा गया है। कर संबंधी कोई भी निर्णय लेने से पहले किसी योग्य टैक्स सलाहकार से सलाह अवश्य लें। व्यक्तिगत वित्तीय स्थितियां अलग-अलग होती हैं और टैक्स नियम भी समय-समय पर बदलते रहते हैं।

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Meera Sharma

Meera Sharma is a talented writer and editor at a top news portal, shining with her concise takes on government schemes, news, tech, and automobiles. Her engaging style and sharp insights make her a beloved voice in journalism.

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