New Update: आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू ने हाल ही में एक चर्चित बयान देते हुए भ्रष्टाचार को जड़ से मिटाने के लिए एक नया रास्ता सुझाया है। उनका कहना है कि यदि केंद्र सरकार पांच सौ रुपए के नोट को पूरी तरह से बंद कर दे तो देश में व्याप्त भ्रष्टाचार की समस्या का काफी हद तक समाधान हो सकता है। इंडिया टुडे को दिए गए साक्षात्कार में उन्होंने स्पष्ट रूप से कहा कि केवल सौ और दो सौ रुपए के नोट ही चलन में रहने चाहिए। यह सुझाव भारतीय अर्थव्यवस्था और वित्तीय नीति के क्षेत्र में एक नई बहस को जन्म दे रहा है।
उच्च मूल्य के नोटों और भ्रष्टाचार के बीच संबंध
चंद्रबाबू नायडू का मानना है कि भ्रष्टाचार की जड़ में उच्च मूल्य वर्ग के नोट हैं, विशेषकर पांच सौ और दो हजार रुपए के नोट। इन नोटों के कारण बड़ी मात्रा में नकद लेनदेन करना आसान हो जाता है, जिससे रिश्वतखोरी और अवैध गतिविधियों को छुपाना सुविधाजनक होता है। उनके अनुसार आम नागरिकों की दैनिक जरूरतों के लिए सौ रुपए या उससे कम मूल्य के नोट पर्याप्त होते हैं। वर्तमान में भारत में चलने वाले कुल नोटों में पांच सौ रुपए के नोट का हिस्सा 41 प्रतिशत है, जो इसके व्यापक उपयोग को दर्शाता है। हालांकि, नायडू का तर्क है कि यह व्यापक उपयोग मुख्यतः भ्रष्ट तत्वों द्वारा किया जा रहा है।
2016 की नोटबंदी से सीख
2016 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा लागू की गई नोटबंदी का हवाला देते हुए चंद्रबाबू नायडू ने कहा कि उस समय पांच सौ और हजार रुपए के पुराने नोट बंद किए गए थे। इससे तात्कालिक रूप से काले धन पर रोक लगी थी और भ्रष्टाचार में कमी आई थी। लेकिन बाद में सरकार द्वारा नए पांच सौ और दो हजार रुपए के नोट जारी करने से भ्रष्टाचार की समस्या फिर से सिर उठाने लगी। इस अनुभव से सीख लेते हुए नायडू का सुझाव है कि इस बार पांच सौ रुपए के नोट को स्थायी रूप से बंद कर देना चाहिए, न कि नए नोट जारी करना चाहिए।
डिजिटल भुगतान को बढ़ावा देने की आवश्यकता
मुख्यमंत्री नायडू ने अपने सुझाव के साथ-साथ डिजिटल लेनदेन को प्रोत्साहित करने पर भी जोर दिया है। उनका कहना है कि डिजिटल माध्यमों से होने वाले लेनदेन में पारदर्शिता रहती है और हर ट्रांजैक्शन का पूरा रिकॉर्ड सुरक्षित रहता है। इससे कर चोरी, रिश्वतखोरी और हवाला जैसी अवैध गतिविधियों पर प्रभावी रोक लगाई जा सकती है। डिजिटल भुगतान व्यवस्था के माध्यम से सरकार हर लेनदेन पर नजर रख सकती है और संदिग्ध गतिविधियों की तुरंत पहचान कर सकती है।
प्रस्ताव की व्यावहारिक चुनौतियां
इस प्रस्ताव के साथ कुछ व्यावहारिक समस्याएं भी जुड़ी हुई हैं जिन पर गंभीरता से विचार करना आवश्यक है। भारत की एक बड़ी आबादी, विशेषकर ग्रामीण और पिछड़े क्षेत्रों में रहने वाले लोग, अभी भी नकद लेनदेन पर निर्भर हैं। इन क्षेत्रों में डिजिटल भुगतान की सुविधाएं सीमित हैं और तकनीकी साक्षरता का अभाव है। ऐसी स्थिति में पांच सौ रुपए के नोट को अचानक बंद करने से आम लोगों को असुविधा हो सकती है। इसके लिए पहले से ही मजबूत डिजिटल ढांचा तैयार करना और लोगों को डिजिटल भुगतान के लिए प्रशिक्षित करना आवश्यक होगा।
नीति निर्माताओं के लिए विचारणीय मुद्दे
चंद्रबाबू नायडू का यह सुझाव भारतीय नीति निर्माताओं के लिए एक महत्वपूर्ण विषय है। इस प्रस्ताव को लागू करने से पहले इसके व्यापक प्रभावों का अध्ययन करना जरूरी होगा। साथ ही वैकल्पिक व्यवस्थाओं को मजबूत बनाना और आम जनता को इसके लिए तैयार करना भी आवश्यक होगा। यह निर्णय न केवल भ्रष्टाचार पर नियंत्रण के लिए बल्कि पूरी अर्थव्यवस्था के डिजिटलीकरण के लिए भी महत्वपूर्ण साबित हो सकता है।
अस्वीकरण: यह लेख केवल सूचनात्मक उद्देश्यों के लिए लिखा गया है। इसमें व्यक्त विचार चंद्रबाबू नायडू के बयान पर आधारित हैं और यह किसी आधिकारिक नीति या सरकारी निर्णय को नहीं दर्शाता। वास्तविक नीतिगत बदलाव केवल केंद्र सरकार के अधिकार में है।