प्रोपर्टी से जुड़े मामले में सुप्रीम कोर्ट ने दिया बड़ा फैसला, अब ऐसे नहीं मिलेगा प्रोपर्टी का मालिकाना हक Supreme Court

By Meera Sharma

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Supreme Court: सुप्रीम कोर्ट ने संपत्ति के मालिकाना हक को लेकर एक अत्यंत महत्वपूर्ण फैसला सुनाया है जो भविष्य में प्रॉपर्टी डील करने वाले लोगों के लिए मार्गदर्शक का काम करेगा। इस मामले में एक व्यक्ति ने दावा किया था कि वह किसी संपत्ति का वास्तविक मालिक है क्योंकि उसके भाई ने यह प्रॉपर्टी उसे उपहार के रूप में दी थी। उसका कहना था कि इस आधार पर वह इस संपत्ति का वैध मालिक है और उसका इस पर कब्जा भी है। हालांकि दूसरे पक्ष ने इसी संपत्ति पर अपना दावा पेश करते हुए पावर ऑफ अटॉर्नी, हलफनामा और एग्रीमेंट टू सेल जैसे दस्तावेजों को आधार बनाया था। इस विवाद को सुलझाने के लिए मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा जहाँ न्यायालय ने एक स्पष्ट और निर्णायक फैसला दिया।

रजिस्टर्ड दस्तावेजों की अनिवार्यता

सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में स्पष्ट रूप से कहा कि बिना रजिस्टर्ड दस्तावेजों के किसी भी अचल संपत्ति का मालिकाना हक स्थानांतरित नहीं हो सकता। कोर्ट ने रजिस्ट्रेशन एक्ट 1908 का हवाला देते हुए बताया कि केवल रजिस्टर्ड दस्तावेज होने पर ही किसी व्यक्ति को संपत्ति का मालिकाना हक मिल सकता है। यह फैसला इस बात को स्पष्ट करता है कि संपत्ति की खरीद बिक्री में रजिस्ट्रेशन एक अनिवार्य प्रक्रिया है। न्यायालय ने दूसरे पक्ष के दावे को इसलिए रद्द कर दिया क्योंकि उनके पास वैध रजिस्टर्ड दस्तावेज नहीं थे। इस फैसले से यह संदेश मिलता है कि संपत्ति के लेनदेन में कानूनी औपचारिकताओं को पूरा करना अत्यंत आवश्यक है।

पावर ऑफ अटॉर्नी की वास्तविक भूमिका

कई लोग गलत धारणा रखते हैं कि पावर ऑफ अटॉर्नी और एग्रीमेंट टू सेल जैसे दस्तावेज संपत्ति के मालिकाना हक के लिए पर्याप्त हैं। सुप्रीम कोर्ट ने इस भ्रम को दूर करते हुए स्पष्ट किया कि पावर ऑफ अटॉर्नी केवल किसी व्यक्ति को संपत्ति खरीदने या बेचने का अधिकार देता है। यह दस्तावेज मालिकाना हक स्थानांतरित नहीं करता बल्कि केवल कानूनी प्राधिकार प्रदान करता है। इसी तरह एग्रीमेंट टू सेल एक समझौता पत्र है जिसमें खरीदार और विक्रेता के बीच संपत्ति से संबंधित सभी शर्तें और विवरण होते हैं। लेकिन यह भी मालिकाना हक का प्रमाण नहीं है। यह केवल भविष्य में होने वाली बिक्री के लिए एक वचनबद्धता है।

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संपत्ति रजिस्ट्री की महत्वता

इस फैसले का मुख्य संदेश यह है कि संपत्ति की वैध रजिस्ट्री ही मालिकाना हक का एकमात्र प्रामाणिक दस्तावेज है। रजिस्ट्री के बिना कोई भी व्यक्ति संपत्ति पर अपना कानूनी अधिकार स्थापित नहीं कर सकता। यह प्रक्रिया न केवल कानूनी सुरक्षा प्रदान करती है बल्कि भविष्य में होने वाले विवादों से भी बचाती है। रजिस्ट्री के दौरान संपत्ति की सभी जानकारी सरकारी रिकॉर्ड में दर्ज हो जाती है जो इसकी प्रामाणिकता को सुनिश्चित करती है। इसमें स्टाम्प ड्यूटी और रजिस्ट्रेशन फीस का भुगतान भी शामिल है जो इसे कानूनी रूप से मान्य बनाता है।

सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला संपत्ति खरीदारों और विक्रेताओं के लिए एक महत्वपूर्ण मार्गदर्शन प्रदान करता है। इससे यह स्पष्ट हो जाता है कि संपत्ति के लेनदेन में रजिस्ट्रेशन की प्रक्रिया को पूरा करना अनिवार्य है। यह फैसला उन लोगों के लिए चेतावनी भी है जो अधूरे या गैर रजिस्टर्ड दस्तावेजों के आधार पर संपत्ति खरीदने की सोच रहे हैं। भविष्य में किसी भी प्रॉपर्टी डील में सभी पक्षों को यह सुनिश्चित करना होगा कि सभी कानूनी औपचारिकताएं पूरी की गई हैं और संपत्ति की वैध रजिस्ट्री हो गई है।

अस्वीकरण: यह जानकारी सामान्य जानकारी के उद्देश्य से प्रदान की गई है। संपत्ति से संबंधित कोई भी निर्णय लेने से पहले कानूनी सलाह अवश्य लें और सभी दस्तावेजों की विधिवत जांच कराएं।

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Meera Sharma

Meera Sharma is a talented writer and editor at a top news portal, shining with her concise takes on government schemes, news, tech, and automobiles. Her engaging style and sharp insights make her a beloved voice in journalism.

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